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राजपूत कुलदेवी

राजपूत वंश

राजपूत राजवंश

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rathod rajput kuldevi nagnechiya maa
Rathod Rajput Kuldevi Nagnechiya Maa

नागणेच्या माता ( Nagnechiya Maa ) राठौड़ राजपूतों की कुलदेवी ( Rathod Rajput Kuldevi ) हैं। इनकी पूजा खासकर राजस्थान के मारवाड़ इलाके में होती है, और ये माता जोधपुर के पास नागाणा गांव ( Nagana Villages ) में स्थित मंदिर में पूजी जाती हैं। ये मंदिर राव धूहड़ ने बनवाया था, जो राठौड़ वंश के बहुत बड़े शासक थे। मज़ेदार बात ये है कि राव धूहड़ ने माता की मूर्ति कर्नाटका से मंगवाई थी।

कहानी थोड़ी सी मजेदार है। राव धूहड़ बचपन में अपने मामा के घर गए थे और वहां मामा के पेट की अजीब सी बड़ी परत देखकर हंसी उड़ाई। फिर मामा ने कहा, हमारी कुलदेवी का मंदिर नहीं है। ये सुनकर राव धूहड़ ने कसम खाई कि वो अपनी कुलदेवी की मूर्ति लाएंगे। फिर गुरु लुंबा ऋषि के साथ कन्नौज गए और वहां से चक्रेश्वरी माता की मूर्ति लाए। जब रास्ते में थोड़ी दूर नागाणा के पास पहुंचे, तो देवी ने कहा, अब और नहीं रुक सकते, यहीं रुकना पड़ेगा! और यहीं मूर्ति आधी जमीन में दब गई। फिर राव धूहड़ ने वहां मंदिर बना दिया, और इस तरह नागणेच्या माता की पूजा शुरू हुई।

अब हर साल यहाँ दो बड़े मेले होते हैं - माघ शुक्ल सप्तमी और भाद्रपद शुक्ल सप्तमी, जिसमें लोग लप्सी और खाजा चढ़ाते हैं, और साथ में सात रंग की राखी भी बांधते हैं। बहुत ही पवित्र और उत्सव जैसा माहौल होता है। और बीकानेर और जोधपुर में भी नागणेच्या माता के मंदिर हैं, जहां लोग नवरात्रि और दशहरे के समय बड़ी धूमधाम से पूजा करते हैं।



नागणेची माता का पूरा इतिहास | Nagnechiya Maa History


nagnechiya maa history
Nagnechiya Maa History


नागणेची मां, राठौड़ वंश की कुलदेवी हैं, जिनकी पूजा राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में बड़ी श्रद्धा से की जाती है। नागणेची माता का मंदिर नागाणा गांव, जो जोधपुर जिले में स्थित है, वहां पर है। यह जगह जोधपुर से करीब 96 किलोमीटर दूर है। देवी को चक्रेश्वरी, राठेश्वरी, और पंखणी माता जैसे नामों से भी जाना जाता है।

कहानी इस तरह है कि राव धूहड़ (जो राठौड़ वंश के एक बड़े शासक थे) ने सबसे पहले नागणेची माता की मूर्ति स्थापित की थी और उस मंदिर का निर्माण कराया था। राव धूहड़ ने यह मूर्ति कर्नाटका (दक्षिण भारत) से मंगवायी थी। एक दिन राव धूहड़ अपने मामा के घर गए थे और वहां मामा के पेट पर एक अजीब सा बड़ा आकार देखकर हंसी उड़ाई। मामा ने राव धूहड़ को बताया कि उनकी कुलदेवी की मूर्ति नहीं है और इस वंश के लिए एक स्थायी मंदिर होना चाहिए। मामा की यह बात राव धूहड़ के दिल में घर कर गई और उन्होंने ठान लिया कि वह अपनी कुलदेवी की मूर्ति लेकर आएंगे।

राव धूहड़ ने गुरु लुंबा ऋषि के मार्गदर्शन में कन्नौज की यात्रा की और वहां से चक्रेश्वरी माता की मूर्ति अपने साथ लेकर आए। जब वह नागाणा के पास पहुंचे, तो देवी ने कहा कि यहीं पर उनका निवास होगा और मूर्ति आधी जमीन में समा गई। फिर राव धूहड़ ने वहीं पर एक मंदिर बनवाया और देवी का नाम नागणेची रख दिया।

नागणेची माता की पूजा महिष्मर्दिनी और शक्ति के रूप में की जाती है, और उनकी अठारह भुजाओं वाली मूर्ति का बहुत महत्व है। उनके साथ-साथ सिंह और नाग के प्रतीक भी होते हैं, जो उनके रक्षक और शक्ति के प्रतीक माने जाते हैं। राठौड़ राजपूतों का मानना था कि इस देवी की पूजा से उनके साम्राज्य को बल मिलता था और उनका राज्य मजबूत होता था।

आज भी नागणेची माता के मंदिर में माघ शुक्ल सप्तमी और भाद्रपद शुक्ल सप्तमी के दौरान विशाल मेले आयोजित होते हैं। इन खास अवसरों पर भक्त लप्सी और खाजा चढ़ाते हैं, और देवी को रक्षाबंधन की तरह सात धागे बांधकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

इसके अलावा, राठौड़ वंश के प्रमुख किलों जैसे जोधपुर, बीकानेर, और जालोर में भी नागणेची माता के मंदिर हैं, जहां राठौड़ राजाओं ने पूजा की और देवी से आशीर्वाद लिया।

नागणेची माता की यह कथा और इतिहास राठौड़ वंश के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, और आज भी उनकी पूजा में उसी श्रद्धा और आस्था का निर्वाह किया जाता है। अगर कभी राजस्थान का दौरा करें, तो नागणेची माता का मंदिर देखना एक अद्भुत अनुभव होगा।



नागणेची माता मंदिर कहां है? | Nagnechiya Maa Temple


nagnechiya maa temple
Nagnechiya Maa Temple


अगर आप राजस्थान की धरती पर कदम रखें और राठौड़ परिवार की कुलदेवी की पूजा का अनुभव करना चाहें तो आपको नागणेची माता के मंदिर ( Nagnechiya Mata Temple Nagana ) की यात्रा जरूर करनी चाहिए। ये मंदिर राजस्थान के जोमदपुर जिले में स्थित नागाणा गांव में है। ये गांव जोधपुर से लगभग 96 किलोमीटर दूर है, और यहां का सफर सच में बहुत ही खास होता है।

यह मंदिर ना केवल राठौड़ राजपूतों के लिए, बल्कि उन सभी के लिए है जो शक्ति और श्रद्धा की पूजा करते हैं। नागणेची माता का ये मंदिर पाचपदरा तहसील के पास स्थित है। और अगर आप जोधपुर से आएं तो ये जगह आपको लगभग एक घंटे की दूरी पर मिलेगी।

इतिहास की बात करें तो इस मंदिर का संबंध बहुत पुराना है। माना जाता है कि राव धूहड़ (जो राठौड़ वंश के एक प्रसिद्ध शासक थे) ने नागणेची माता की मूर्ति कर्नाटका से मंगवाई और इसे नागाणा गांव में स्थापित किया। और तब से इस देवी की पूजा का सिलसिला शुरू हुआ।

इसके अलावा, नागणेची माता के मंदिर सिर्फ नागाणा में ही नहीं, बल्कि राजस्थान के बीकानेर, जालोर, झालावाड़ और कई अन्य स्थानों पर भी हैं। ये सभी मंदिर राठौड़ वंश के शासकों द्वारा बनवाए गए थे और ये मंदिर उनके साम्राज्य की शक्ति और भक्ति को दर्शाते हैं।



नागणेची माता का जन्म कब हुआ? 



अगर आप जानना चाहते हैं कि नागणेची माता का जन्म ( Nagnechiya Maa Birth Date ) कब हुआ, तो थोड़ा ध्यान से सुनिए! असल में, नागणेची माता का जन्म किसी खास तारीख पर नहीं हुआ, क्योंकि उनके बारे में जो इतिहास है, वो थोड़ा अलग है। ये माता राठौड़ वंश की कुलदेवी हैं और इनकी पूजा की शुरुआत राव धूढ़ ने की थी।

अब आपको थोड़ा और समझाऊं—राव धूढ़, जो राठौड़ वंश ( Rathod Vansh ) के एक महान शासक थे, उन्होंने करीब 13वीं सदी में नागणेची माता की मूर्ति कर्नाटका से लाकर नागाणा गांव में स्थापित की थी। इस मूर्ति को पहले चक्रेश्वरी माता कहा जाता था, लेकिन जैसे-जैसे पूजा बढ़ी, इसे नागणेची माता के नाम से जाना जाने लगा

तो बस, नागणेची माता का जन्म काल सीधे तौर पर नहीं कहा जा सकता, लेकिन उनकी पूजा और मंदिर की स्थापना का इतिहास करीब 700 साल पुराना है। यही वजह है कि माता की पूजा आज भी बड़े श्रद्धा और विश्वास के साथ की जाती है, खासकर राठौड़ वंश के लोग उन्हें अपनी कुलदेवी मानते हैं।



नागणेची माता का मेला कहां लगता है?


nagnechiya maa mela
Nagnechiya Maa Mela


अगर आप सोच रहे हैं कि नागणेची माता का मेला ( Nagnechiya Maa Mela ) कहां लगता है, तो जानिए, ये मेला राजस्थान के नागाणा गांव में लगता है, जो जोधपुर जिले के पास स्थित है। हर साल दो बड़े मेले होते हैं, एक माघ शुक्ल सप्तमी और दूसरा भाद्रपद शुक्ल सप्तमी को। इन दिनों माता के भक्त बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से यहां आते हैं।

इस मेले में बहुत सारी धार्मिक रीतियों के साथ भव्य पूजा होती है। भक्त अपनी श्रद्धा और आस्था के साथ लापसी और खाजा का भोग चढ़ाते हैं, और फिर सात धागे को कुंकुम में रंगकर माता को रक्षासूत्र बांधते हैं, जिसे रक्षाबंधन की तरह माना जाता है।

इस मेले के दौरान नागाणा गांव और आसपास के क्षेत्र में एक अनोखा उल्लास और उत्साह होता है। लोग दूर-दूर से आते हैं, माता के दर्शन करते हैं, और अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की प्रार्थना करते हैं। तो अगर आप भी यहां आना चाहते हैं, तो इस मेले में भाग लेकर इस पवित्र अनुभव का हिस्सा बन सकते हैं!



नागणेची माता की पूजा कैसे करें?



अगर आप नागणेची माता की पूजा करना चाहते हैं, तो ये बहुत ही आसान और मजेदार तरीका है। बस कुछ खास बातें ध्यान में रखिए और आप श्रद्धा से पूजा कर सकते हैं:

1. साफ-सफाई सबसे ज़रूरी है

पूजा से पहले अपनी जगह और शरीर को अच्छे से साफ कर लें। शुद्धता का बहुत महत्व है। पूजा का सही माहौल बनाना जरूरी है।

2. माता का चित्र या मूर्ति रखें

माता नागणेची का चित्र या मूर्ति अपनी पूजा स्थल पर रखें। अगर आपके पास मूर्ति नहीं है तो तस्वीर भी ठीक है।

3. लाल फूल, सुपारी और चंदन

माता को चढ़ाने के लिए लाल रंग के फूल, सुपारी और चंदन रखें। ये चीज़ें माता की पूजा में खास मानी जाती हैं और शुभ होती हैं।

4. दीपक और अगरबत्ती जलाएं

पूजा के दौरान दीपक जलाना और अगरबत्ती का धुआं उठाना बहुत जरूरी है। इससे पूरे वातावरण में एक शांति और पवित्रता का अहसास होता है।

5. पानी और दूध का अभिषेक करें

माता के चरणों में दूध और पानी अर्पित करें। इससे पूजा में और भी ज्यादा फल मिलता है। ये एक प्यारी सी परंपरा है।

6. लापसी और खाजा का भोग चढ़ाएं

माता को लापसी और खाजा चढ़ाने का बहुत महत्व है। ये उनके प्रसाद के रूप में अर्पित करें, और फिर आप भी इसका सेवन करें।

7. सात धागे बांधें

पूजा के बाद, सात रंगीन धागों को कुंकुम में रंग कर, माता के चरणों में बांधें। ये जैसे रक्षाबंधन का एक रूप होता है, जो माता की कृपा का प्रतीक माना जाता है।

8. मंत्र जाप करें

पूजा करते वक्त आप ये छोटा सा मंत्र जाप कर सकते हैं:


"ॐ नागणेची माते की जय"

9. आरती गाएं

पूजा के बाद माता की आरती गाना न भूलें। ये पूजा का एक अहम हिस्सा है और इससे आपको शांति मिलती है और माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

10. प्रसाद बांटें

पूजा के बाद जो प्रसाद (लापसी और खाजा) माता को चढ़ाया, उसे सभी लोगों में बांटें। यह सबके लिए शुभ होता है और परिवार में खुशहाली आती है।



नागणेची माता किसका रूप है?



महिषासुर मर्दिनी ( Mahishasura Mardini ) यानी वो देवी जो महिषासुर का वध करने आई थीं, उनके रूप में होती हैं। समझो, वो शक्ति की देवी हैं, जो अपने भक्तों को ताकत और सुरक्षा देती हैं। उनके हाथों में शंख, चक्र जैसे अस्त्र-शस्त्र होते हैं, जो बुरी शक्तियों को नष्ट कर देते हैं।

माता का एक और खास रूप ये है कि उनके सिर पर नाग यानी सांप का रूप होता है और वो सिंह पर सवार होती हैं, जो उनकी ताकत और विजय को दर्शाता है। और हां, उनके अठारह हाथ होते हैं, जो वो बुरी ताकतों को खत्म करने के लिए इस्तेमाल करती हैं।

उन्हें कई नामों से जाना जाता है जैसे राठेश्वरी, चक्रेश्वरी, और पंखणी माता। ये पूजा खासकर राठौड़ राजपूतों द्वारा की जाती है, क्योंकि वो उन्हें अपनी कुलदेवी मानते हैं।

कुल मिलाकर, नागणेची माता एक ऐसी देवी हैं जो हमें जीवन की सभी मुसीबतों से बचाती हैं और हमें शक्ति और आशीर्वाद देती हैं।


नागणेची माता किसकी कुलदेवी है? | Nagnechiya Maa Kuldevi



नागणेची माता तो राठौड़ राजपूत वंश की कुलदेवी हैं इतना ही नहीं, इनकी पूजा सेवाड़ राजपुरोहित, सोढ़ा राजपुरोहित और भंडारी (महेश्वरी) समुदाय भी करते हैं।

इनका मंदिर जोधपुर जिले के नागाणा गांव में है, जो जोधपुर से लगभग 96 किलोमीटर दूर है। इस मंदिर की बहुत ही ऐतिहासिक और धार्मिक अहमियत है। राठौड़ परिवार के लोग तो खासतौर पर इस मंदिर में पूजा करने के लिए आते हैं, क्योंकि उन्हें विश्वास है कि माता के आशीर्वाद से उनकी रक्ष‍ा होती है और जीवन में समृद्धि आती है।

आपको पता है, नागणेची माता के बारे में एक दिलचस्प बात ये है कि यह माता महिषासुर मर्दिनी के रूप में पूजी जाती हैं। उनके 18 हाथ होते हैं और उनकी शक्ति का कोई मुकाबला नहीं। यह देवी राठौड़ वंश के लिए बेहद खास हैं, और इनकी पूजा के बिना राठौड़ परिवार के लोग अपने कार्यों को अधूरा समझते हैं।

इतिहास में भी बताया जाता है कि राव धूड़जी ने कर्नाटका से उनकी मूर्ति लेकर इसे नागाणा गांव में स्थापित किया था। तब से लेकर आज तक राठौड़ परिवार के लोग इनकी पूजा करते आ रहे हैं।



नागणेची माता का मंत्र | Nagnechiya Maa Mantra


nagnechiya maa mantra
Nagnechiya Maa Mantra


नागणेची माता का मंत्र राठौर राजपूतों और उनके समुदायों के लिए बहुत खास है। एक प्रमुख मंत्र है:

 
श्री नागणेची माता नमः चक्रेश्वरी बलस्थाने राठेश्वरी रठ

 

, जो माता के आशीर्वाद की शक्ति और उनके रक्षक रूप को मान्यता देता है। इसके अलावा, कुछ और भी मंत्र हैं जो भक्तों के बीच बहुत प्रसिद्ध हैं। जैसे कि 

पंखणी सप्तमात्रेण नागणेच्या मां नमोस्तुते


एक और मंत्र है 

जयति मात चावंड, चंड अरी मुंड सहारनी

जो उनकी वीरता और शक्ति को दर्शाता है। माता के शौर्य को पहचानने वाला मंत्र जयति मात चावंड, खड़क खप्पर कर धारणी भी बहुत प्रसिद्ध है। अगर आप माता से जीवन में सुख, शांति और सफलता की कामना करते हैं तो रक्तबीज महिशासदी, मार भार भूव उतारियो मंत्र मददगार हो सकता है।

माता के आशीर्वाद से तीनों लोकों में सुख-शांति की कामना के लिए तीन लोक नर अमर, नाग कर कष्ठ निवारियो भी एक बेहद प्रभावी मंत्र है। इसके अलावा, श्रद्धालु सुमरिया मात आदी सगत, सेवक कारज सारणी मंत्र से अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने का आशीर्वाद मांगते हैं।

इन मंत्रों को पढ़ने से न सिर्फ मन को शांति मिलती है, बल्कि माता के आशीर्वाद से जीवन में उन्नति और समृद्धि आती है। नागणेची माता के ये मंत्र एक बहुत ही गहरे विश्वास और श्रद्धा के साथ प्रचलित हैं।






निष्कर्ष


तो बस दोस्तों, नागणेची माता के बारे में इतना ही। ये कुलदेवी सिर्फ राठौड़ वंश के लिए ही नहीं, बल्कि हर भक्त के लिए आशीर्वाद और शक्ति की देवी मानी जाती हैं। उनका मंदिर, उनका रूप, उनका इतिहास, और उनकी पूजा सभी में एक विशेष शक्ति है जो हर किसी की जिंदगी को सुख, शांति और समृद्धि से भर देती है। अगर आप भी नागणेची माता के भक्त हैं या उनकी पूजा में रुचि रखते हैं, तो इनकी पूजा जरूर करें, क्योंकि ये देवी हमेशा अपने भक्तों पर अपनी कृपा बनाये रखती हैं।



अगर आपको नागणेची माता से जुड़ी कोई और जानकारी चाहिए या आपके मन में कोई सवाल हो, तो कमेंट में हमें जरूर बताएं। हम यहां हैं आपकी मदद के लिए

तो फिर, माता का आशीर्वाद हमेशा आप पर बना रहे, और हर काम में सफलता मिले। 

|| जय नागणेची माता ||


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