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राजपूत कुलदेवी

राजपूत वंश

राजपूत राजवंश

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kalika mata history



दोस्तों, मैं देवेन्द्र सिंह हूँ, कालिका माता का इतिहास बहुत दिलचस्प और शक्तिशाली है। वो गणेशी दुर्गा का रूप मानी जाती हैं, और विशेष रूप से राजपूतों के बीच एक अहम देवी हैं। उनकी पूजा मुख्य रूप से शक्ति, विनाश और सिद्धि के रूप में की जाती है, जो बुराईयों का नाश करती हैं और भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।


अब बात करते हैं कालिका माता के मंदिर की जो चित्तौड़गढ़ किला में स्थित है। इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। 8वीं सदी में यह मंदिर सूर्य देवता को समर्पित था, लेकिन बाद में 14वीं सदी में इसे कालिका माता के मंदिर में बदल दिया गया। राजपूतों ने इसे अपनी कुलदेवी के रूप में स्वीकार किया और आज भी यह मंदिर उनके लिए बहुत पवित्र है।


मंदिर चित्तौड़गढ़ किले के ऊपरी हिस्से में स्थित है, जिससे आपको पूरे शहर का शानदार दृश्य देखने को मिलता है। मंदिर की दीवारों पर जो नक्काशी है, वो आपको प्राचीन कला का अहसास कराती है। भले ही यह कुछ हिस्सों में खंडहर हो चुका हो, फिर भी इसकी खूबसूरती और शक्ति आज भी आपको महसूस होती है।



कालिका माता मंदिर - चित्तौड़गढ़


kalika mata chittorgarh



आज मैं आपको चित्तौड़गढ़ के एक बेहद शक्तिशाली और पवित्र मंदिर के बारे में बताना चाहता हूँ जिसे आपको जरूर देखना चाहिए—कालिका माता मंदिरकालिका माता असल में गणेशी दुर्गा का रूप हैं, और इस मंदिर का महत्व बहुत बड़ा है। यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है, और यहां से पूरे शहर का शानदार दृश्य देखने को मिलता है। यह सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि इतिहास और वास्तुकला के शौकिनों के लिए भी एक बेहतरीन जगह है। मंदिर की दीवारों पर जो बारीक नक्काशी और सजावट है, वह सच में अद्भुत है। हालांकि मंदिर कुछ हिस्सों में खंडहर हो चुका है, फिर भी इसकी सुंदरता और शक्ति आज भी महसूस की जा सकती है।


अगर आप यहां जाने का प्लान बना रहे हैं, तो यहां कुछ जरूरी जानकारी है:


  • समय: सुबह 9:30 बजे से शाम 6:30 बजे तक
  • प्रवेश शुल्क: मंदिर के लिए अलग से कोई शुल्क नहीं, सिर्फ किले का प्रवेश शुल्क देना होता है।
  • स्थान: चित्तौड़गढ़ किला, चित्तौड़गढ़, राजस्थान 312001



बैस राजपूत की कुलदेवी - कालिका माता



दोस्तों, अगर आप बैस राजपूत के बारे में जानते हैं, तो आप यह भी जानेंगे कि उनकी कुलदेवी कौन हैं। बैस राजपूत एक बहुत ही सम्मानित और प्राचीन राजपूत कुल है, और इनका इतिहास वीरता और शक्ति से भरा हुआ है। ये लोग खुद को लक्ष्मण (राम के भाई) की संतान मानते हैं, और उनके पूर्वजों ने उत्तर भारत के बड़े हिस्सों पर राज किया।


अब बात करें उनकी कुलदेवी की, तो वो हैं कालिका माता। ये देवी शक्ति, सुरक्षा, और विनाश का प्रतीक मानी जाती हैं। बैस राजपूत अपने घर में कालिका माता की पूजा बड़े श्रद्धा भाव से करते हैं। उनके लिए यह देवी सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि एक तरह से उनके परिवार की समृद्धि और विजय की भी संरक्षक हैं।


उनका मानना है कि कालिका माता ने उन्हें हमेशा युद्धों में सफलता दिलाई और जीवन में आशीर्वाद दिया। उनके परिवारों में हर साल बड़ी धूमधाम से कालिका माता की पूजा होती है। अगर आप कभी बैस राजपूतों के परिवार से जुड़े किसी व्यक्ति से मिलें, तो आप देखेंगे कि इनकी श्रद्धा और विश्वास कालिका माता के प्रति कितना गहरा और अडिग है।


इसे भी पढ़ेंबैस राजपूत इतिहास, गोत्र, और कुलदेवी | Bais Rajput Ka Itihas


काली माता किसकी अवतार है?



काली माता असल में देवी दुर्गा का ही एक रूप हैं। काली का रूप बहुत ही शक्तिशाली और उग्र होता है, और उन्हें बुराई का नाश करने वाली देवी के तौर पर पूजा जाता है। जब धरती पर राक्षसों और असुरों ने परेशानियां बढ़ा दी थी, तब देवी दुर्गा ने काली माता का रूप लिया ताकि वह बुराई का नाश कर सकें।


काली माता का रूप विशेष रूप से उग्र और शक्तिशाली है, और उनकी पूजा आम तौर पर उन लोगों द्वारा की जाती है जो शक्ति, सिद्धि और विनाशक ऊर्जा की तलाश में रहते हैं। काली माता का काम सिर्फ बुराई का नाश करना नहीं, बल्कि वो सृजन और विनाश के बीच संतुलन भी बनाए रखती हैं।



काली माता का मंत्र



दोस्तों, काली माता के कई मंत्र होते हैं, और इनका जाप करने से आपको शक्ति, सुरक्षा और मानसिक शांति मिलती है। अगर आप काली माता की उपासना कर रहे हैं या किसी विशेष उद्देश्य के लिए पूजा कर रहे हैं, तो इन मंत्रों का जाप आपकी मदद कर सकता है।


ॐ काली महाक्रूरी महाक्रूरा महाक्रूरिणी महाक्रूरी महाक्रूरी क्लीं क्रीं काली महाक्रूरी महाक्रूरिणी महाक्रूरी स्वाहा।


कुछ प्रसिद्ध और आसान काली माता के मंत्र ये हैं:


ॐ क्रीं काली – यह मंत्र काली माता की शक्ति को जागृत करने के लिए है।

ॐ क्रीं ह्रुं ह्रीं – यह मंत्र आत्मविश्वास और शक्ति को बढ़ाने के लिए जपा जाता है।

ॐ क्रीं ह्रुं ह्रीं हूँ फट् – यह मंत्र बुरी शक्तियों से मुक्ति पाने के लिए है।

ॐ हूँ ह्रीं हूँ फट् स्वाहा – इस मंत्र से नकारात्मक ऊर्जा को दूर किया जा सकता है।

ॐ श्री कालिकायै नमः – यह मंत्र काली माता के प्रति सम्मान और श्रद्धा दिखाने के लिए है।

ॐ हरिं श्रीं कलिं अद्य कालिका परम् एष्वरी स्वाः – यह मंत्र काली माता के परम रूप से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए है।

ह्रीं ह्रीं ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणकालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं – यह मंत्र काली माता के दक्षिण रूप की शक्ति को प्राप्त करने के लिए है।

ॐ महा काल्यै छ विद्यामहे स्स्मसन वासिन्यै छ धीमहि तन्नो काली प्रचोदयात – यह मंत्र विद्या और शक्ति पाने के लिए जपा जाता है।



अगर आप इन मंत्रों का जाप नियमित रूप से करते हैं, तो आपको काली माता का आशीर्वाद और आंतरिक शक्ति मिलेगी। आप भी इन मंत्रों का जाप करके सकारात्मक ऊर्जा और शांति पा सकते हैं।



काली माता की शादी किससे हुई थी



दोस्तों, काली माता की शादी की कहानी काफी खास है। कहते हैं कि उनका विवाह भगवान शिव से हुआ था। अब ये थोड़ा अलग है क्योंकि काली माता असल में देवी पार्वती का ही एक रूप हैं। तो, काली और पार्वती दोनों एक ही देवी हैं, लेकिन उनका रूप और व्यक्तित्व अलग-अलग होते हैं।


काली का रूप बहुत उग्र और शक्तिशाली होता है, जबकि पार्वती का रूप शांत और सौम्य होता है। जब काली ने बुराई को नष्ट करने के लिए अपना उग्र रूप धारण किया, तो वो भगवान शिव के साथ जुड़ीं।


काली माता को अक्सर भगवान शिव के ऊपर खड़ा हुआ दिखाया जाता है, जहां उनका एक पैर शिव के पैर पर और दूसरा उनकी छाती पर होता है। यह दिखाता है कि काली की शक्तियां भगवान शिव को नियंत्रित करती हैं, लेकिन फिर भी शिव उनके पति और आध्यात्मिक साथी के रूप में हमेशा साथ होते हैं।


यह चित्रण शक्ति और शांति का संतुलन दर्शाता है, जहां दोनों मिलकर ब्रह्मांड को संतुलित करते हैं। काली का उग्र रूप और शिव का शांत रूप एक-दूसरे के पूरक हैं।



कालिका माता मंदिर कहाँ है?



दोस्तों, अगर आप कालिका माता मंदिर के बारे में जानना चाहते हैं, तो सबसे प्रसिद्ध मंदिर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ किले में है। यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है और यहां से पूरे शहर का बहुत सुंदर दृश्य दिखाई देता है। कालिका माता मंदिर पहले सूर्य मंदिर था, लेकिन बाद में इसे कालिका माता के मंदिर में बदल दिया गया। यह मंदिर 8वीं सदी का है और बहुत ऐतिहासिक है।


इसके अलावा, कालिका माता के मंदिर भारत के और भी कई जगहों पर हैं, 


  1. कालीकट, केरल में एक प्रसिद्ध कालिका माता मंदिर है।
  2. कुल्लू, हिमाचल प्रदेश में भी एक बहुत सुंदर कालिका माता मंदिर है।
  3. पाटन, गुजरात में भी एक बहुत पुराना और प्रसिद्ध मंदिर है।


काली माता के दर्शन कैसे करें?


दोस्तों, काली माता के दर्शन करने के लिए कुछ आसान और असरदार तरीके हैं। सबसे पहले, मंदिर में जाने से पहले अच्छे और साफ कपड़े पहनना चाहिए क्योंकि साफ-सफाई का बहुत महत्व है। फिर, जब आप माता के दर्शन करने जाएं, तो दिल से भक्ति करें और पूरी श्रद्धा के साथ उनके दर्शन करें। आप ॐ क्रीं काली या ॐ श्री कालिकायै नमः जैसे मंत्रों का जाप कर सकते हैं, जो आपके मन को शांति और शक्ति देंगे। दर्शन के दौरान, आप माता को फल, फूल या मिठाई चढ़ाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। मंदिर में कुछ समय ध्यान और प्रार्थना करने से आपकी आंतरिक शांति बढ़ेगी और आपको मानसिक संतुलन मिलेगा। ध्यान रखें कि दर्शन करते वक्त आपको अपनी मानसिकता को सकारात्मक और शांत रखना है, क्योंकि यही असली आशीर्वाद है।


निष्कर्ष


तो दोस्तों, अब आपने काली माता की कथा के बारे में जान लिया! ये कहानी सिर्फ उनके उग्र रूप को ही नहीं, बल्कि हमें ये भी सिखाती है कि कभी-कभी हमें अपनी अंदर की शक्तियों को सही तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए। काली माता हमें आत्मविश्वास और मानसिक शक्ति देती हैं, जिससे हम किसी भी बुराई का सामना कर सकते हैं।


अगर आपको ये जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें, ताकि उनका भी भला हो और काली माता का आशीर्वाद उन तक पहुंचे।


क्या आपको काली माता के बारे में और भी कुछ जानना है? या फिर कोई और सवाल हो, तो मुझसे कमेंट करके पूछ सकते हो। मैं यहां हूं आपकी मदद करने के लिए!


|| जय काली माँ ||

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