कैलादेवी, जो राजस्थान के कैलादेवी मंदिर में पूजा जाती हैं, एक बहुत ही पवित्र देवी मानी जाती हैं। ये देवी महा योगिनी महामाया देवी का रूप हैं, जो कलियुग में 'कैलादेवी' के नाम से जानी जाती हैं। स्कंद पुराण में भी इनका उल्लेख मिलता है, जहां इन्हें साक्षात देवी शक्ति का रूप माना गया है।
कैलादेवी मंदिर कैरौली जिले में स्थित है, और यहां देवी की पूजा बहुत श्रद्धा और आस्था के साथ की जाती है। इस मंदिर में माँ काली और माँ चामुंडा की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं, जो लगभग जुड़वा जैसी प्रतीत होती हैं। कहते हैं कि माँ चामुंडा की मूर्ति यहां राजा गोपाल सिंह द्वारा 1723 में स्थापित की गई थी।
इतना ही नहीं, मंदिर के पास गुप्त कैलादेवी मंदिर भी है, जो एक गुफा के रूप में 4-5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यही गुफा कालीसिल नदी का स्रोत मानी जाती है। यहाँ जाने का रास्ता थोड़ा जंगल के बीच से है, लेकिन भक्तों की आस्था इतनी मजबूत है कि वे यहाँ पैदल चलकर या वाहन से जाते हैं।
कैलादेवी किसकी कुलदेवी है?
कैलादेवी जादौन राजपूत समुदाय की प्रमुख कुलदेवी हैं। इस समुदाय के लोग कैलादेवी की पूजा श्रद्धा और आस्था से करते हैं। जादौन राजपूतों का विश्वास है कि कैलादेवी उनके परिवार की रक्षक हैं और उनके आशीर्वाद से ही उनका जीवन सुखी और समृद्ध होता है।
कैलादेवी मंदिर, जो कैरौली, राजस्थान में स्थित है, जादौन राजपूतों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यहाँ हर साल चैत्र नवरात्रि के दौरान विशाल मेला आयोजित होता है, जहाँ हजारों श्रद्धालु अपनी देवी के दर्शन करने के लिए आते हैं।
कैलादेवी के प्रति इस समुदाय का श्रद्धा भाव इतना गहरा है कि जादौन राजपूत अपने सभी महत्वपूर्ण कार्यों में देवी के आशीर्वाद की कामना करते हैं।
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कैला देवी का मंदिर कहां है?
कैला देवी का मंदिर राजस्थान के कैरौली जिले में स्थित है, जो कैलादेवी गाँव में है। यह मंदिर अरावली पहाड़ियों के बीच, कालीसिल नदी के किनारे पर बसा हुआ है। इस जगह की शांतिपूर्ण और पवित्र वातावरण में लोग आकर माँ कैला देवी के दर्शन करते हैं।
अगर आप कभी राजस्थान जाएं, तो कैलादेवी मंदिर जरूर जाना क्योंकि यह जगह बहुत ही खास है, खासकर चैत्र नवरात्रि के दौरान जब यहाँ मेला लगता है। लाखों लोग यहाँ माँ के दर्शन करने के लिए आते हैं। और सबसे अच्छा तो ये है कि ये मंदिर जादौन राजपूत समुदाय के लिए कुलदेवी भी मानी जाती है।
कैला देवी का इतिहास क्या है?
कैला देवी का इतिहास काफी दिलचस्प और पवित्र है। ये मंदिर राजस्थान के कैरौली जिले में स्थित है और माँ कैला देवी की पूजा यहाँ बड़ी श्रद्धा से होती है। कहते हैं कि माँ कैला देवी का रूप महायोगिनी महामाया देवी का है, जो कलियुग में कैलादेवी के नाम से पूजी जाती हैं।
अब बात करते हैं मंदिर के इतिहास की! एक बार एक योगी बाबा अपनी कैला देवी की मूर्ति को लेकर नागारकोट से भाग रहे थे। रास्ते में जब वो घने जंगल से गुजर रहे थे, तो उनका बैल अचानक रुक गया और वहीं खड़ा हो गया। बाबा ने समझा कि ये माँ का आदेश है, तो उन्होंने उसी जगह मूर्ति स्थापित कर दी।
महाराजा गोपाल सिंह ने 1723 में इस मंदिर की नींव रखी और 1730 में इसे पूरा किया। उन्होंने चामुंडा देवी की मूर्ति भी यहाँ स्थापित की थी।
आज भी जादौन राजपूत समुदाय के लोग इसे अपनी कुलदेवी मानते हैं और यहाँ पूजा के लिए आते हैं। चैत्र नवरात्रि के दौरान तो यहाँ मेला लगता है और लाखों श्रद्धालु माँ के दर्शन करने आते हैं।
इस मंदिर की खास बात ये है कि ये सिर्फ धार्मिक जगह नहीं, बल्कि एक ऐसी पवित्र जगह है जहां लोग मानसिक शांति और आशीर्वाद पाने आते हैं।
कैला देवी का मेला कहां लगता है
कैला देवी मेला कैरौली जिले के कैलादेवी मंदिर में चैत्र नवरात्रि के दौरान लगता है। यह मेला हर साल बड़े धूमधाम से आयोजित होता है, और खास बात ये है कि लाखों लोग यहाँ पैदल चलकर आते हैं, माँ के दर्शन करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए।
इस मेले में ना सिर्फ पूजा होती है, बल्कि बहुत सारे सांस्कृतिक कार्यक्रम, झाँकियाँ और अन्य मजेदार धार्मिक आयोजन भी होते हैं। मेला करीब 15 दिनों तक चलता है और ये पूरा इलाका मंदिर के चारों ओर श्रद्धा और उत्साह से भर जाता है।
अगर आप कभी राजस्थान में हों और थोड़ा सा धार्मिक अनुभव लेना चाहें, तो कैला देवी का मेला जरूर देखना चाहिए। यह अनुभव आपको बहुत खास लगेगा!
कैला देवी का मेला किस तिथि को लगता है
कैला देवी का मेला हर साल चैत्र नवरात्रि के दौरान लगता है, जो मार्च और अप्रैल के बीच आता है। ये मेला बहुत खास होता है और करीब 15 दिनों तक चलता है। मेला नवरात्रि के पहले दिन से शुरू होता है, लेकिन आठवें और नौवें दिन का महत्व सबसे ज्यादा होता है, जब यहाँ पर भक्तों की भारी भीड़ होती है।
इन दिनों, पूरा इलाका भक्तिमय माहौल में डूबा रहता है। लोग दूर-दूर से पैदल यात्रा करके आते हैं और मंदिर में अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं। साथ ही, यहाँ सांस्कृतिक कार्यक्रम, भव्य झाँकियाँ और धार्मिक आयोजन भी होते हैं, जो मेला को और भी खास बना देते हैं। मंदिर के आस-पास का माहौल इतनी धूमधाम से भरा होता है कि आपको हर कदम पर नई ऊर्जा और उत्साह महसूस होता है।
अगर आप कभी कैला देवी का मेला देखना चाहते हैं, तो चैत्र नवरात्रि के दौरान एकदम सही समय है। इस दौरान आपको यहाँ एक अलग ही अनुभव मिलेगा और माँ के आशीर्वाद के साथ-साथ एक अनोखा धार्मिक और सांस्कृतिक माहौल देखने को मिलेगा।
करौली से कैला देवी मंदिर कितने किलोमीटर है?
अगर आप करौली से कैला देवी मंदिर जाने का प्लान बना रहे हैं, तो जान लीजिए कि ये दोनों जगहें सिर्फ 23 किलोमीटर दूर हैं। मतलब, आपको मंदिर तक पहुँचने में 30-45 मिनट का समय लग सकता है, और ये समय ट्रैफिक और मौसम के हिसाब से थोड़ा घट-बढ़ भी सकता है।
आपको बता दूं, अगर आप नवरात्रि के दौरान जा रहे हैं तो रास्ते में थोड़ी ज्यादा भीड़ हो सकती है क्योंकि उस समय हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि सफर बोरिंग होगा! रास्ते में बहुत सुंदर दृश्य और हरे-भरे इलाके मिलेंगे, जो आपके सफर को और भी मजेदार बना देंगे।
साथ ही, करौली से कैला देवी जाने के लिए कई रास्ते और वाहनों के ऑप्शन हैं, जैसे बस, टैक्सी या अपनी गाड़ी से भी आराम से जा सकते हैं। तो अगर आप कभी करौली से कैला देवी का सफर करें, तो यकीन मानिए, यह एक शानदार यात्रा हो सकती है।
कैला देवी मंत्र
कैला देवी मंत्र का जाप करने से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि देवी माँ का आशीर्वाद भी मिलता है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और शक्ति का अनुभव होता है। अगर आप माँ कैला देवी के दर्शन करने गए हों या उनके प्रति अपनी श्रद्धा जताना चाहते हों, तो कैला देवी का मंत्र आपके दिल की भक्ति को और भी गहरा कर देता है।
एक प्रसिद्ध और आसान सा कैला देवी मंत्र है, जिसे आप रोज़ कुछ मिनटों में जप सकते हैं। इस मंत्र का जाप करने से माँ कैला देवी की कृपा प्राप्त होती है, और जीवन के हर पहलू में सकारात्मक बदलाव आता है।
मंत्र: "ॐ काली काली महाकाली,
कैलादेवी महाक्रूरी,
जन्म मृत्यु से मुक्ति दे,
शक्ति दे, सुख समृद्धि दे।
ॐ क्लीं क्लीं किला देवी महाक्रूरी।"
यह मंत्र आपको सुबह या शाम को शांति से बैठकर जपना चाहिए। 108 बार इसका जाप करें और महसूस करें कि माँ कैला देवी का आशीर्वाद आपके जीवन में प्रवेश कर रहा है।
और हाँ, इस मंत्र का जप केवल बोलने के लिए नहीं होता, बल्कि दिल से श्रद्धा और भक्ति महसूस करके करें। इसे करने से आपके मन में एक नई ऊर्जा का संचार होगा। चाहे आप घर पर हों, मंदिर में हों, या कहीं भी हों, इस मंत्र के साथ अपने दिन की शुरुआत करें, और देखिए कैसे आपको माँ के आशीर्वाद से जीवन में खुशियाँ मिलती हैं।
तो अगर आप भी माँ के आशीर्वाद को महसूस करना चाहते हैं, तो इस मंत्र को अपने जीवन का हिस्सा बनाइए, और देखिए कैसे सब कुछ बदलता है!
निष्कर्ष
तो भाई, उम्मीद है आपको कैला देवी और उनके मंदिर के बारे में सारी जानकारी अच्छी लगी होगी! अगर आपके मन में कोई और सवाल हो या कुछ पूछना हो, तो कमेंट बॉक्स में लिखो। मैं यहां हूं आपकी मदद करने के लिए!
मैं देवेन्द्र सिंह हूं, और अगर आपको और भी जानकारी चाहिए तो बेझिजक पूछो। धन्यवाद और शुभकामनाएं!
|| जय माँ कैला देवी ||
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