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राजपूत कुलदेवी

राजपूत वंश

राजपूत राजवंश

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हम सब जानते हैं कि भारत की प्राचीन सभ्यता में बहुत से ऐतिहासिक वंशों का जिक्र है। एक बहुत ही अहम वंश है सोमवंशी वंश, जिसे चंद्रवंशी भी कहा जाता हैये वंश सीधे चंद्र देवता से जुड़ा हुआ है, और इसका इतिहास बहुत पुराना और रोचक है।


यादि वंश इस वंश का एक प्रमुख उपविभाग है, और भगवान श्री कृष्ण भी इसी वंश से थे। तो सोचिए, जब हम कृष्ण की महिमा गाते हैं, तो हम एक महान वंश की भी बात कर रहे होते हैं।


अब आते हैं पुरुवंशी वंश पर, जो चंद्रवंशी राजपूतों का एक और महत्वपूर्ण उपविभाग है। महाभारत के कौरव और पांडव, दोनों ही पुरुवंशी थे। ये वंश भी भारतीय इतिहास में अपनी एक अलग पहचान बनाता है।


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चन्द्रवंशी राजपूतों का इतिहास के बारे में जाने


दोस्तों, आज मैं आपको चंद्रवंशी राजपूतों के बारे में कुछ दिलचस्प और अहम बातें बताने जा रहा हूँ। यह वंश भारतीय इतिहास का एक प्रमुख हिस्सा है, और इनका संबंध चंद्र देवता (चंद्रमा) से है। इन्हें सोमवंशी भी कहा जाता है, और इनकी वंशावली बहुत ही गौरवमयी और प्राचीन है।


1. चंद्रवंशी राजपूतों का इतिहास


चंद्रवंशी राजपूतों का मानना है कि उनका वंश चंद्र देवता से उत्पन्न हुआ। यह वंश भारतीय इतिहास में एक अहम स्थान रखता है। इनका संबंध महाभारत से भी जुड़ा हुआ है, जहां कौरव और पांडव दोनों ही पुरुवंशी थे, जो चंद्रवंशी राजपूतों का एक उपविभाग माने जाते हैं।


2. भगवान श्री कृष्ण और यदुवंशी


चंद्रवंशी राजपूतों में सबसे प्रसिद्ध नाम है यदुवंशी वंश का, क्योंकि भगवान श्री कृष्ण इसी वंश से थे। श्री कृष्ण का जन्म यदु वंश में हुआ था और वह चंद्रवंशी राजपूतों के महान राजा थे। उनका जीवन आज भी हमारी संस्कृति और धर्म का अहम हिस्सा है।


3. चंद्रवंशी राजपूतों का साम्राज्य


इन राजपूतों का साम्राज्य उत्तर भारत, मध्य भारत और पश्चिमी भारत के कई हिस्सों में फैला हुआ था। इन्होंने अपनी वीरता और प्रशासनिक कौशल से भारतीय इतिहास में एक मजबूत छाप छोड़ी।


4. समाज और संस्कृति पर प्रभाव


चंद्रवंशी राजपूतों ने न केवल युद्धों में वीरता दिखाई, बल्कि समाज और धर्म में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। ये राजपूत अपनी निष्ठा और ईमानदारी के लिए जाने जाते थे, और इन्हें भारतीय समाज में सम्मान प्राप्त था।


5. आज के समय में चंद्रवंशी राजपूत


आज भी चंद्रवंशी राजपूतों के वंशज विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय हैं। राजनीति, समाज सेवा और सैन्य क्षेत्र में इनका योगदान जारी है। आज के समय में भी इनकी संस्कृति और विरासत को जीवित रखने की कोशिश की जा रही है।


चंद्रवंशी राजपूत का समय कब से शुरू हुआ


यारों, क्या आप जानते हो कि चंद्रवंशी राजपूतों का इतिहास कितनी लंबी और दिलचस्प यात्रा पर आधारित है? ये राजपूत अपने आप में बहुत ही शक्तिशाली और वीर रहे हैं। तो चलिए, इस इतिहास के बारे में कुछ खास बातें जानते हैं:


1. कहां से शुरू हुआ?


चंद्रवंशी राजपूतों की शुरुआत महाभारत के समय से मानी जाती है। भगवान श्री कृष्ण, जो चंद्रवंशी थे, इस वंश के सबसे महान राजा माने जाते हैं। उनका वंश चंद्र देवता (चंद्रमा) से जुड़ा हुआ था, और यही वजह है कि इन्हें 'चंद्रवंशी' कहा जाता है।


2. गुप्त साम्राज्य और मध्यकाल


गुप्त काल (4वीं से 6वीं शताब्दी) में इन राजपूतों ने अपनी पहचान बनाई। बाद में 7वीं से 13वीं शताब्दी के दौरान चंद्रवंशी राजपूतों ने कई युद्धों में भाग लिया और अपने साम्राज्य को बढ़ाया। उदाहरण के तौर पर, राजा विजयपाल चंदेल और राजा जयचंद जैसे शासक बहुत ही प्रसिद्ध हुए।


3. वीरता का दौर


12वीं से 16वीं शताब्दी तक चंद्रवंशी राजपूतों की वीरता के चर्चे थे। उन्होंने कई बड़े युद्ध लड़े, और उनके शौर्य की गाथाएँ आज भी हमारे दिलों में जिंदा हैं। राणा सांगा और उनके जैसे कई वीर शासक उनकी वीरता के प्रतीक बने।


4. आधुनिक समय


आजकल, चंद्रवंशी राजपूतों का नाम भारतीय इतिहास में बड़े आदर से लिया जाता है। उनके योगदान, उनके युद्ध, उनकी संस्कृति – सब कुछ अब भी हमारे बीच है।


चंद्रवंशी राजपूतों का इतिहास एक लंबी यात्रा का नाम है, जो महाभारत से लेकर आज तक फैली हुई है। इनकी वीरता, इनके संघर्ष और इनके शौर्य की गाथाएं हमें हमेशा प्रेरित करती रहेंगी।



चन्द्रवंशी राजपूतों में कितनी जातियाँ आती हैं


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चंद्रवंशी राजपूत भारत के उन गौरवमयी कुलों में से हैं जो अपने वंश को चंद्र देवता से जोड़ते हैं। इनकी उत्पत्ति चंद्रवंश से मानी जाती है, और यह कुल भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इन राजपूतों का दावा है कि वे महाभारत के पांडवों के वंशज हैं और उनके पूर्वजों में यदु, कृष्ण, अर्जुन जैसे महान वीरों का नाम शामिल है। चंद्रवंशी राजपूतों के प्रमुख कुल भारत के विभिन्न हिस्सों में फैले हुए हैं, और इनका इतिहास सदियों पुराना है। इस लेख में हम चंद्रवंशी राजपूतों के प्रमुख कुलों के बारे में विस्तार से जानेंगे, जो अपनी वीरता, संस्कृतियों और योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं।


1. बछल कुल


बछल राजपूत अपने वंश को काल्पनिक राजा वेन से जोड़ते हैं। इनका प्रारंभिक निवास रोहिलखंड क्षेत्र में था, जहां ये लंबे समय तक प्रमुख थे। बछल कुल के लोग अत्यधिक साहसी और कृतिशील थे, जिन्होंने कई नहरों का निर्माण किया और अपने समय में उत्कृष्ट जल प्रबंधन के लिए प्रसिद्ध रहे। उनके संस्थापक राजा बैराट थे, जिन्होंने पांडवों को उनके वनवास के दौरान शरण दी थी। बछल मुख्य रूप से बुलंदशहर, मथुरा, मुरादाबाद, और शाहजहांपुर जिलों में पाए जाते हैं।


2. भाटी कुल


भाटी राजपूत राजस्थान के जैसलमेर क्षेत्र से हैं और ये चंद्रवंशी राजपूतों के वंशज माने जाते हैं। इनका वंश जैतसिंह से जुड़ा है, और इनका साम्राज्य पंजाब, सिंध, और अफगानिस्तान तक फैला हुआ था। भाटी राजपूतों के प्रमुख विरोधी राठौर राजपूत थे, और इन दोनों के बीच पानी, किलों और मवेशियों पर संघर्ष होता था। इनकी वीरता और शौर्य की कहानियाँ आज भी जीवित हैं। भाटी राजपूतों का मुख्यालय जैसलमेर था, और ये घुड़सवारी और युद्ध कला में निपुण थे।


  1. गोत्र: आत्रि
  2. कुलदेवी: महालक्ष्मी


3. भांगालिया कुल


भांगालिया कुल हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के छोटा और बड़ा भांगाल क्षेत्रों के पूर्व शासक हैं। इस कुल के लोग क्षेत्रीय शासक रहे हैं और उन्होंने कई महत्वपूर्ण किलों और साम्राज्यों का निर्माण किया है।


4. चंदेला कुल


चंदेला राजपूत चंद्रवंशी वंश से हैं और इनका प्रमुख किला कालिंजर था। 10वीं शताब्दी में इनका साम्राज्य फैल गया था और उन्होंने ग्वालियर किला भी जीता। चंदेला राजपूतों ने अपने शौर्य और साहस के लिए प्रसिद्धि प्राप्त की है। वे प्रतीहार वंश के साथ संघर्ष करते थे और उनके योगदान भारतीय किलों और किलों की स्थापत्य कला में उल्लेखनीय है।


  1. गोत्र: चंदात्रेय, शेषधर, पराशर, गौतम
  2. कुलदेवी: मणियादेवी
  3. देवता: हनुमानजी


5. चुदासामा कुल


चुदासामा राजपूत अपने वंश को भगवान श्री कृष्ण से जोड़ते हैं। यह कुल विशेष रूप से गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में प्रभावी रहा। चुदासामाओं ने कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों की स्थापना की।


  1. गोत्र: आत्रि
  2. कुलदेवी: श्री अंबाजी माँ
  3. कुलदेव: भगवान श्री कृष्ण


6. जादौन कुल


जादौन (या जद्राल) राजपूत महाभारत के यदु से उत्पन्न माने जाते हैं और यह चंद्रवंशी राजपूतों के वंशज हैं। जादौन राजपूतों ने कई किलों का निर्माण किया और बिजयगढ़ और मजहोला किलों का इतिहास इनसे जुड़ा हुआ है।


  1. कुलदेवी: कैलादेवी (करौली, राजस्थान)


7. जडेजा कुल


जडेजा राजपूत मुख्य रूप से गुजरात और राजस्थान में पाए जाते हैं। वे चंद्रवंशी राजपूतों के वंशज हैं और उनके प्रमुख देवता भगवान श्री कृष्ण और सोमनाथ महादेव हैं। यह कुल ऐतिहासिक समय में शक्तिशाली था और कई क्षेत्रों में इनका साम्राज्य था।


  1. गोत्र: आत्रि
  2. कुलदेवी: श्री मोमाई माताजी
  3. कुलदेव: सोमनाथ महादेव (वेरावल), सिद्धनाथ महादेव (द्वारका)


8. जऱल कुल


जऱल (जद्राल) राजपूत जम्मू और कश्मीर में रहते हैं। वे महाभारत के अर्जुन के वंशज हैं। जऱल राजपूतों का इतिहास राजोरी में 670 वर्षों तक था, और उनका शौर्य और वीरता कश्मीर और पंजाब क्षेत्र में प्रसिद्ध था।


  1. कुलदेवी: कैलादेवी (करौली)


9. कटोच कुल


कटोच राजपूत भारतीय इतिहास के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित कुलों में से एक माने जाते हैं। यह कुल महाभारत में उल्लिखित है, और इसके प्रमुख शासक पार्मानंद चंद्र (पोरस के नाम से प्रसिद्ध) थे। कटोच कुल का शौर्य और उनके साम्राज्य के बारे में ऐतिहासिक काव्य और गाथाएँ आज भी जीवित हैं।


  1. गोत्र: कश्यप, शुनक
  2. इष्टदेवी: नाग देवता


10. सोम/सोमवंशी कुल


सोमवंशी राजपूत चंद्रवंशी राजपूतों के वंशज हैं और यह कुल महाभारत के पांडवों से जुड़ा हुआ हैवे दुष्यंत और भारत के वंशज हैं और इस कुल के प्रमुख देवता सोम (चंद्र) हैं।


  1. गोत्र: आत्रि
  2. कुलदेवी: महालक्ष्मी



आज मैंने आपको चंद्रवंशी राजपूत के बारे में बताया है इस आर्टिकल में मैंने आपको चंद्रवंशी राजपूत, उनका इतिहास, और चंद्रवंशी राजपूत की जाति बताई है आपको मेरा आर्टिकल कैसा लगा हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं



|| जय माँ भवानी ||

|| जय राजपूताना ||



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